रैबीज एक ऐसा रोग है, जिसका कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में लोगों को यह पता है कि कुत्ते के काटने से यह रोग होता है, लेकिन जबकि सच यह है कि यह रोग कुत्ते के साथ ही साथ बंदर, बिल्ली, चूहा और गिलहरी के काटने से भी हो सकता है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति को इनमें से कोई जानवर कभी काट ले, तो रैबीज का इंजेक्शन अवश्य लगवाना चाहिएा साथ ही इन जानवरों के काटने पर बचाव के लिए ये उपाय भी किये जाने चाहिए-
घाव को बहते हुए पानी में धुलें।
पानी से धुलने के बाद घाव को कपडा धाने के साबुन अथवा डिटर्जेट पाउडर से धुलेंा
घाव पर मिर्ची, चूना, हल्दी व मोबिल ऑयल आदि कदापि न लगाएं।
घाव पर पटटी न बांधे, क्योंकि इससे बैक्टीरिया के तेजी से फैलने की संभावना रहती है।जितनी झाड फूंक के चक्कर में न पडें और जितनी जल्दी हो सके रोगी को डॉक्टर के पास ले जाएं।
यदि आप ऐसा करेंगे, तो इन जानवरों के काटने के बाद भी रोगी में रैबीज रोग को फैलने से बचाया जा सकता है।
:आकलन:
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी संचार परिषद द्वारा उत्प्रेरित एवं समर्थित.
आप ही बताए कि यह सब कब तक चलता रहेगा?
कल मैंन न्यूज पेपर में पढा कि एक तांत्रिक ने एक लडकी को मार डाला। आप पूछेगे कि भला तात्रिक कैसे मार सकता है? तो बात ये है कि मेरठ के एक गांव में एक गरीब परिवार में एक लडकी बीमार थीा उसके मां बाप ने उसका इलाज कराया, लेकिन वह ठीक नही हुयी। इससे निराश होकर लडकी के मा बाप उसे तात्रिक के पास ले गयेा उसने लडकी की झाड फूक की और उसी से उसकी मृत्यु हो गयी।
अब आप प्लीज ये मत पूछना कि लडकी की मृत्यु कैसे हो गयी। मुझे लगता है कि लडकी के माता पिता ने उसका इजाज जिस भी डाक्टर से कराया होगा, वो एम बी बी एस नहीं होगा, इसलिए वह लडकी की बीमारी समझ नहीं पाया होगा। इसके साथ ही साथ यहा पर ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि लडकी के मा बाप गरीब थे। उनके पास इतना पैसा भी नहीं होगा। साथ ही उन्होंने सोचा होगा कि लडकी ही तो है, चलो तांत्रिक को दिखा देते हैं। शायद वह ठीक हो जाए। और इस चक्कर में लडकी का देहांत हो गया।
यहां पर कई सारे प्रश्न उठते हैं। पहला तो यह कि गांव में अच्छे डाक्टर क्यों नहीं मिलते हैं? सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। दूसरी बात यह कि गांव के लोग अब भी इस बात में विश्वास करते हैं कि तांत्रिक लोग किसी की बीमारी ठीक कर सकते है। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है। हम सबको इसके विरोध में आवाज उठानी चाहिए। मैं अपने ब्लॉग में इस तरह की बाते आगे भी लिखूगीं।
आपको मेरी बाते कैसी लगी, अवश्य बताना। और हॉ, मैंने ये ब्लॉग बनाना जाकिर सर की वर्कशाप में सीखा है। उनके मोटिवेशन से मैंने ये पोस्ट लगाई है। प्लीज आप लोग बताना कि मेरा ब्लाग ठीक बना है कि नही?
अब आप प्लीज ये मत पूछना कि लडकी की मृत्यु कैसे हो गयी। मुझे लगता है कि लडकी के माता पिता ने उसका इजाज जिस भी डाक्टर से कराया होगा, वो एम बी बी एस नहीं होगा, इसलिए वह लडकी की बीमारी समझ नहीं पाया होगा। इसके साथ ही साथ यहा पर ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि लडकी के मा बाप गरीब थे। उनके पास इतना पैसा भी नहीं होगा। साथ ही उन्होंने सोचा होगा कि लडकी ही तो है, चलो तांत्रिक को दिखा देते हैं। शायद वह ठीक हो जाए। और इस चक्कर में लडकी का देहांत हो गया।
यहां पर कई सारे प्रश्न उठते हैं। पहला तो यह कि गांव में अच्छे डाक्टर क्यों नहीं मिलते हैं? सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। दूसरी बात यह कि गांव के लोग अब भी इस बात में विश्वास करते हैं कि तांत्रिक लोग किसी की बीमारी ठीक कर सकते है। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है। हम सबको इसके विरोध में आवाज उठानी चाहिए। मैं अपने ब्लॉग में इस तरह की बाते आगे भी लिखूगीं।
आपको मेरी बाते कैसी लगी, अवश्य बताना। और हॉ, मैंने ये ब्लॉग बनाना जाकिर सर की वर्कशाप में सीखा है। उनके मोटिवेशन से मैंने ये पोस्ट लगाई है। प्लीज आप लोग बताना कि मेरा ब्लाग ठीक बना है कि नही?
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