बंदर, बिल्ली, चूहा, गिलहरी के काटने से भी हो सकता है रैबीज़।

रैबीज एक ऐसा रोग है, जिसका कोई इलाज नहीं है। इसके बारे में लोगों को यह पता है कि कुत्ते के काटने से यह रोग होता है, लेकिन जबकि सच यह है कि यह रोग कुत्ते के साथ ही साथ बंदर, बिल्ली, चूहा और गिलहरी के काटने से भी हो सकता है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति को इनमें से कोई जानवर कभी काट ले, तो रैबीज का इंजेक्शन अवश्य लगवाना चाहिएा साथ ही इन जानवरों के काटने पर बचाव के लिए ये उपाय भी किये जाने चाहिए-

घाव को बहते हुए पानी में धुलें।
पानी से धुलने के बाद घाव को कपडा धाने के साबुन अथवा डिटर्जेट पाउडर से धुलेंा
घाव पर मिर्ची, चूना, हल्दी व मोबिल ऑयल आदि कदापि न लगाएं।
घाव पर पटटी न बांधे, क्योंकि इससे बैक्टीरिया के तेजी से फैलने की संभावना रहती है।जितनी झाड फूंक के चक्कर में न पडें और जितनी जल्दी हो सके रोगी को डॉक्टर के पास ले जाएं।

यदि आप ऐसा करेंगे, तो इन जानवरों के काटने के बाद भी रोगी में रैबीज रोग को फैलने से बचाया जा सकता है।